उर्स मखदूम अशरफ के समापन अवसर पर उलेमा और मशाखों का महत्वपूर्ण बयान व दस्तार फजीलत
अम्बेडकरनगर (सूचना न्यूज़ कार्यालय) शिक्षा का गुण व बुलंदी का महत्व इस्लाम में बहुत ऊंचा है जिसका उदाहरण कहीं और नहीं मिलता है। शिक्षा व प्रशिक्षण, पाठ पठन तो इस्लाम धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है। पवित्र ग्रंथ कुरआन पाक के 18 हज़ार शब्दों में से पहले शब्द जो ईश्वर (अल्लाह) ने अंतिम संदेष्टा (पैगम्बर) पर भेजा वो था “इकरा” जिसका अर्थ होता है “पढ़”।
उपरोक्त बातें गाजी मिल्लत अल्लामा सैयद हाशमी मियां ने जामिया सोफिया किछौछा में आयोजित 635वें उर्स मखदूम अशरफ के वार्षिक कार्यक्रम के समापन अवसर पर कहा। उन्होंने कहा कि “वह खोए हुए को रास्ता दिखाता है , वह बुरे को अच्छा बनाता है। वह दुश्मन को दोस्त बना लेता है, अधर्मियों को अपना बना लेता है और दुनिया में शांति और व्यवस्था का माहौल बनाता है। हदीस के उद्घोष के दौरान उन्होंने मदीनत-उल-इल्म और अली बाबा को इतने बेहतरीन तरीके से समझाया कि सभा खुशी से भर गई। उन्होंने ईमान पर दृढ़ रहने का निर्देश दिया।
बरेली शरीफ वंश के प्रतिनिधि सैयद असलम मियां ने एक संक्षिप्त बयान में जामिया सोफिया और उसके शैक्षणिक विभागों की सेवाओं की प्रशंसा किया।
कार्यक्रम के दौरान आधा दर्जन विद्यार्थियों को दस्तर फाजिलत की उपाधि से नवाजा गया।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत कारी तस्लीम बनारस के पाठ और मौलाना कसमतुल्लाह सिकंदरपुर के निर्देशन से हुई।
कुलशरीफ और लंगर आम की व्यवस्था की गई। गाजी मिल्लत ने देश के लोगों के लिए विशेष रूप से मुसलमानों की प्रगति और मुक्ति के लिए विशेष प्रार्थना की।
सभी कार्यक्रम शेख तारिकत अल्लामा सैयद जिलानी अशरफ द्वारा प्रायोजित थे और इसकी अध्यक्षता शेख जामिया मुफ्ती सैयद वक्फ अली अशरफी ने की थी।
इस कार्यक्रम में अल्लामा सैयद मिकी रशीद, अल्लामा सैयद हुसैनी मियां, अल्लामा सैयद हमजा मियां, सैयद समानानी मियां, सैयद याजदानी मियां, सैयद सोभनी मियां, सैयद सफीर मियां, मौलाना हैदर अली अशरफी, मौलाना जिया-उल-हसन मौलाना नाजिम के अलावा अशरफ व अन्य, बड़ी संख्या में उलेमा-ए-मशायख, छात्र, श्रद्धालु आदि मौजूद रहे।