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अम्बेडकरनगर (सूचना न्यूज़ कार्यालय) विश्व स्तरीय महामारी कोरोना का बढ़ता प्रभाव के कारण स्कूल तब से बंद हैं और मोबाइल या टैबलेट पर बच्चों को दी जा रही शिक्षा है। बच्चों की आंखों पर स्क्रीन की जरूरत के कारण अति प्रयोग के दुष्प्रभाव हैं। मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कालेज हंसवर के रेड क्रॉस काउंसलर मोहम्मद असलम खान ने कहा कि छात्र मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ाई के लिए ही करते हैं, बल्कि वे दो गेम्स व फिल्में भी देखते हैं क्योंकि वे घर पर रह रहे हैं। मतलब साफ है कि बच्चों का अधिक से अधिक समय सिर्फ मोबाइल टैबलेट और टीवी स्क्रीन पर व्यतीत होता है। इससे बच्चों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है जिससे बच्चों के सर व आंख में भारीपन, आंखों में लाली, दर्द व खुजली और नींद विकार जैसे रोग पैदा हो रहा है। इससे माता-पिता जहां चिंतित हैं वहीं बच्चे के भविष्य को लेकर बाल कल्याण विभाग मूक दर्शक बना हुआ है। मोबाइल , टेबलेट व टीवी स्क्रीन से लगे रहने के कारण बच्चों की बिगड़ती सेहत का अंदाजा लगाया जा सकता है। सितारे उर्दू एवार्ड सलसे सम्मानित श्री असलम ने कहा कि लगातार मोबाइल व टीवी देखने की वजह से नेत्र अस्पतालों में बच्चे नेत्र उपचार और विशेष लेंस अथवा चश्मा लगवाने के लिए नज़र आते हैं। श्री असलम खान ने कहा कि बच्चों के लिए लगातार स्क्रीन पर नजर रखना बेहद खतरनाक है। इस वजह से बच्चों में आपके शरीर में परिवर्तन महत्वपूर्ण हैं। अधिक मोबाइल देखने के कारण 80 प्रतिशत बच्चे सूखापन से पीड़ित हो रहे है क्योंकि मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन की किरण आंखों के लिए काफी खतरनाक होती है। ऑनलाइन क्लासेज की मदद से अभिभावक अपने बच्चों को फोन से दूर नहीं रख सकते, लेकिन कुछ सावधानी बरतकर वे बच्चों की आंखों पर स्मार्टफोन के प्रभाव को कम कर सकते हैं। बच्चों की नजर में यदि आपको स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

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