“हिंदी उर्दू के संयुक्त राजदूत अनवर जलालपुरी खुद को मीर व गालिब और कबीर व तुलसी का वारिश मानते थे”

सूचना न्यूज़ Whatsapp Join Now
Telegram Group Join Now

अम्बेडकरनगर : मैं जा रहा हूँ मेरा इन्तेजार मत करना, मेरे लिए कभी दिल सोगवार मत करना। सोगवार न होने की कसम दिला कर पद्मश्री अनवर जलालपुरी अपनी इल्मी रोशनाई बिखेर कर इस दुनिया से रुखसत हो चुके हैं जिन्हें अलविदा कहे धीरे धीरे पांच साल गुजर चुके हैं। सोमवार को मरहूम अनवर जलालपुरी की पांचवी पुण्यतिथि है जिस मौके पर उन के चाहने वाले उर्दू शायरी को समझने वाले और अनवर जलालपुरी के कद्रदान उन्हें याद करने के लिए एक साथ जुटे हैं। जलालपुर के मिर्जागलिब इंटर कालेज में कुरान ख्वानी व तरही मुशायरे का आयोजन हुआ तो वहीं मौलाना आजाद गर्ल्स इंटर कालेज में भी एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिस में पद्मश्री अनवर जलालपुर को शिद्दत से याद किया गया।


हर नया साल अनवर जलालपुरी की मौत को ताजा कर देता है क्योंकि दो जनवरी की तारीख ऐसी है जब जलालपुर ही नहीं पूरा देश खूब रोया था मौका था सब के साथ भाईचारे और अपनेपन की बात करने वाले अमन पसंद गंगा जमुनी तहजीब के पैरोकार अनवर जलालपुरी के इन्तेकाल का जिन की पुण्यतिथि पर एक बार फिर अनवर सब को बहुत याद आये।
राम की अयोध्या से प्रवाहित सरयू की गोद में पावन तमसा के उसी तट पर 6 जुलाई 1947 को अनवर ने जन्म लिया था जिस तमसा के तट पर कभी आदिकवि वाल्मीकि ने रामायण रचा था।तुलसी,मीर ,कबीर और रसखान से लेकर गालिब फैज तक की परम्परा को सांसो में समाहित कर शेर व शायरी में मशगूल अनवर जलालपुरी ने जब गीता को जनभाषा दी और इसे उर्दू शायरी में ढाला तो यहीं से उन की पहचान ने एक नई शक्ल लेली और अनवर जलालपुरी हमेशा के लिए अमर हो गये।
मरहूम जलालपुरी ऐसी सख्सियत के मालिक थे जिन की उंगली पकड़ थाम कर उन का तर्ज अपना कर जिले ही नही देश के तमाम लोगों ने शायरी और मंच संचालन का ककहरा सीखा। हिंदी उर्दू के संयुक्त राजदूत अनवर जलालपुरी खुद को मीर व गालिब और कबीर व तुलसी का वारिश मानते थे एक जगह लिखते हैं कि कबीर तुलसी व रसखान मेरे अपने हैं , विरासते जफरो मीर जो है मेरी है।अनवर जलालपुरी का पार्थिव देह आज भले ही हमारे साथ नही है लेकिन उन के अशआर और उनकी अक्षर देह की उपस्थिति उन की शख्सियत से हमेशा रूबरू कराती रहेगी। 02 जनवरी 2018 को उर्दू अदब का यह सितारा हमेशा के लिए डूब गया जिस की चमक का ही असर रहा कि उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार ने पद्मश्री के सम्मान से नवाजा जो पूरे जिले के लिए गर्व की बात है।

जिस शख्सियत ने जलालपुर के नाम को पूरी दुनिया में चमकाया और इसे अलग पहचान दिलायी वहीं की जमीन अनवर जलालपुरी के नाम पर एक अदद कोई स्मृति आज तक बना नहीं सकी। पद्मश्री मिलने के बाद जलालपुर का सीना गर्व से चौड़ा हुआ था सभी अनवर जलालपुरी का गुणगान कर रहे थे नगरपालिका परिषद ने बाकायदा बोर्ड की बैठक में अनवर जलालपुरी की स्मृति में द्वार और लाइब्रेरी बनाने का प्रस्ताव भी पास कर लिया था मगर उस पर आज तक अमल नहीं हुआ यहां तक कि अनवर साहब की याद में किसी चौक तक कि स्थापना नहीं हुई जो विडम्बना ही है। नगर पालिका जलालपुर से अनवर साहब के चाहने वालो को एक उम्मीद थी मगर वो प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़ा है। अनवर जलालपुरी के पुत्र शहरयार ,शाहकार और डा .जानिसार समेत अन्य लोग अपनों की जमीन पर अनवर साहब के प्रति नगरपालिका के रुख से काफी दुखी हैं।

पैगाम फाउंडेशन के तत्वावधान में सोमवार को मौलाना आजाद गर्ल्स इंटर कॉलेज जलालपुर में कुरान ख्वानी, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं श्रद्धांजलि सभा आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय प्रभारी मास्टर जफर अहमद एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व जिला पंचायत सदस्य गोविंद कनौजिया ने किया। उक्त अवसर पर विद्यालय सेक्रेटरी मोहम्मद अहमद,हाजी इरफान अहमद, मास्टर अबुल कलाम,निवर्तमान सभासद बेचन पांडेय,निवर्तमान सभासद अतीकु उर रहमान,आमिना खातून, तज्यींन आएशा, चिंता सोनी, हसन जहरा, प्रज्ञा उपाध्याय,संगीता राजभर,शेर अब्बास,गौरव कुमार, आसिफ नवाज, सानिया सिराज,मोहम्मद कैफ,मौहम्मद अहमद, मोहम्मदी खातून,आबिदा खातून,मौहम्मद शाहिद जमाल,मरगूब अहमद, उमैजा मरियम,किरन देवी विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाएं एवं समस्त स्टाफ उपस्थित रहे।

(साभार नियाज़ सिद्दीकी)

सूचना न्यूज़ Whatsapp Join Now
Telegram Group Join Now