अम्बेडकरनगर:अलीगंज थाना कार्यालय के बगल ग्राम आसोपुर में स्थित हिन्दू मुस्लिम आस्था का केंद्र बना प्राचीन रौजा शहीद बाबा हारून रशीद का रविवार को वार्षिक उर्स परंपराओं का निर्वाह करते हुए बड़ी सादगी से मनाया गया हालांकि प्रत्येक वर्ष लगने वाला क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला कोरोना वायरस के कारण स्थगित कर दिया गया था। रौजा पर पहुंचे अकीदतमंदों को सोशल डिस्टेंडिंग का कड़ाई से पालन कराते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर प्रदान कराया गया।
9 अगस्त रविवार को लगने वाला टाण्डा का सबसे प्रसिद्ध मेला हारून रशीद कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण स्थगित कर दिया गया था। वार्षिक उर्स की परंपराओं का बड़ी सादगी व बिना भीड़ भाड़ के निर्वाह किया गया। शनिवार की शाम ग़ुस्ल मज़ार शरीफ व बाद नमाज़ ईशा कुरआन ख्वानी सम्पन्न हुई। मज़ार शरीफ की चादर पोशी भी बड़ी सादगी के साथ संपन्न कराई गई। रविवार को दूर दराज व स्थानीय अकीदतमंदों को सोशल डिस्टेंडिंग का कड़ाई से पालन कराते हुए आस्ताना तक प्रवेश दिया गया। नज़राने अकीदत वेश करने एवं फातिया पढ़ने के लिए मज़ार शरीफ के सामने गोला बनाया गया था तथा श्रद्धालुओं को उसी घेरे में ही रह कर श्रद्धा सुमन अर्पित करने की अनुमति दी गई थी। रौजा के अंदर अधिक भीड़ ने अहो इसके लिए दरगाह से जुड़ा पदिवार लगातार निगरानी भी कर रहा था।
रौजा शहीद हजरत हारून रशीद रह. के मोतवल्ली शेर अली शाह, मेला प्रबंधक मोहम्मद अकबाल शाह, खजांची मोहम्मद अब्बास, सरबराहकार बरकत अली शाह आदि लगातार रौजा के चारों तरफ लगे हुए थे जिससे भीड़ ने जमा होनी पाए। पूर्व विधायक स्वर्गीय हाजी अजीमुलहक पहलवान के पुत्र मुसाब अजीम भी अपने सहयोगियों के साथ रौजा पर पहुंच कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया तथा कहा कि उनके स्वर्गीय पिता सदैव शहीद बाबा हारून रशीद रह. के उर्स व मेला में शामिल होते थे इसलिए वो भी बाबा के उर्स में शामिल होकर श्रद्धा सुमन अर्पित करते आये हैं। अलीगंज थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर रामचन्द्र सरोज भी रविवार को अधिकांश समय दरगाह के समीप ही नज़र आए जिससे भीड़ नहीं बढ़ सकी। शहीद बाबा हारून रशीद की मज़ार पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में सभी समुदाय के लोग नज़र आये। उक्त दरगाह हिन्दू मुस्लिम आस्था का केंद्र भी मानी जाती है तथा काफी संख्या में हिन्दू श्रद्धालु भी बाबा हारून रशीद में आस्था रखते हैं।
बहरहाल कोरोना अमहमरी के कारण रविवार को लगने वाला प्रसिद्ध हारून रशीद मेला स्थगित हो गया था लेकिन वार्षिक उर्स से सम्बन्धित परंपराओं का बड़ी सादगी के साथ निर्वाह किया गया और रौजा में पहुंचे श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंडिंग का कड़ाई से पालन कराने में शाह परिवार के लोग जुटे नज़र आए।