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अम्बेडकरनगर: शातिर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस कप्तान आलोक प्रियदर्शी लगातार क्राइम मीटिंग कर थानाध्यक्षों को दिशा निर्देश दे रहे हैं लेकिन कई थानाध्यक्षों के लिए क्राइम मीटिंग में पुलिस कप्तान द्वारा दिए गया दिशा निर्देश मात्र भाषण ही नज़र आता है। गत दिनों टॉपटेन की सूची में शामिल जिस शातिर अपराधी को गिरफ्तार ना कर पाने के कारण एसओजी टीम के एक सिपाही को लाइन हाजिर कर दिया गया था लेकिन अब उसी गैंगेस्टर अपराधी पर बसखारी पुलिस की बड़ी कृपा बरसने लगी है। सोशल मीडिया पर बसखारी पुलिस की कार्यशैली पर उंगलियां उठने लगी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बसखारी थानाक्षेत्र के अजमेरी पुत्र कलामुल्लाह पर गैंगेस्टर गौकसी जैसे कई संगीन अपराध दर्ज हैं और हाल ही में उसे टॉपटेन अपराधियों की सूची में शामिल कर जेल की सलाखों के पीछे भेजने का सख्त निर्देश जारी किया गया था। उक्त अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए तीन माह से स्पेशल टीम गठित थी और उसे गिरफ्तारी ना कर पाने के कारण उक्त टीम के सिपाही जावेद अहमद को लाइन हाजिर भी कर दिया गया था लेकिन बसखारी थानाध्यक्ष पी.एन तिवारी ने दो दिन पूर्व उक्त शातिर अपराधी को गिरफ्तार कर मात्र शांतिभंग की आशंका में टाण्डा उप जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष भेजा जहां से उसे बड़ी आसानी से जमानत मिल गई।
सोशल मीडिया पर सत्ता पक्ष से जुड़ी एक महिला नेत्री का नाम सामने आया है। आरोप है कि पुलिस द्वारा अजमेरी पर शिकंजा कसने के बाद स्थानीय महिला नेत्री ने गैंगेस्टर व गौकसी जैसे संगीन मामलों के आरोपी अजमेरी को अपने निजी वाहन से बसखारी थाना पर ले गई जहां लंबी डीलिंग के उपरांत उसे मात्र शांतिभंग की आशंका में चालान कर दिया गया। चर्चा है कि आरोपी को उसी महिला नेत्री के वाहन से टाण्डा उप जिला मजिस्ट्रेट तक भी ले जाया गया जहां उसे बड़ी ही आसानी के साथ जमानत मिल गई। बसखारी थानाध्यक्ष पी.एन तिवारी ने सूचना न्यूज़ को बताया कि आरोपी पर मौजूदा समय में कोई मामला विचाराधीन नहीं था जिसके कारण उसे शांतिभंग की आशंका में न्यायालय भेज गया। अब बड़ा सवाल ये पैदा होता है कि जब आरोपी पर कोई मामला विचाराधीन नहीं था तो बसखारी पुलिस व एसओजी टीम उसे तलाश क्यों रही थी तथा उसे गिरफ्तार ना कर पाने पर की सज़ा सिपाही जावेद को क्यों मिली तथा बसखारी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर धारा 151 में न्यायालय क्यों भेजा।
बहरहाल पुलिस कप्तान आलोक प्रियदर्शी द्वारा क्राइम मीटिंग में सभी थानाध्यक्षों को अपराधियों पर शिकंजा कसने का सख्त निर्देश भले ही दिया जा रहा हो लेकिन थानों की वास्तविकता अजमेरो जैसे शातिर अपराधी को लाभ पहुंचाने से तनिक कम नहीं है।