अम्बेडकरनगर:टाण्डा तहसील क्षेत्र के रामपुर मंगुराडिला मे शुक्रवार को सुबह 10 बजे से सैय्यद शब्बर अली की जानिब से मजलिस-ए-अज़ा का आयोजन किया गया। मजलिस की शुरुआत तिलावते कलाम पाक से हुई। इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मोहम्मद साहब की लख्ते जिगर जनाबे फातेमा ज़हरा की शहादत पर हुसैनिया इमामबारगाह रामपुर मंगुराडिला मे पूरे दिन मजलिसों का दौर जारी रहा। पहली मजलिस को मौलाना मोहम्मद मोहसिन वसीका अरबिक कॉलेज फैज़ाबाद ने खेताब किया। मौलाना ने पूरी मजलिस मोहम्मद साहब की लख्ते जिगर जनाबे फातेमा ज़हरा की हयाते तय्यबा पर पेश करते हुए फरमाया की रसूल अल्लाह अपनी बेटी जनाबे फातेमा ज़हरा को अपनी जान से ज़्यादा चाहते थे। जब जनाबे फातेमा ज़हरा अपने बाबा के पास जाती थी तो रसूल अल्लाह जनाबे फातेमा की मोहब्बत मे खड़े हो जाते थे। दूसरी मजलिस को लखनऊ से आये शिया धर्म गुरु मौलाना सैय्यद अज़ादार हुसैन रिज़वी ने इमामबारगाह हुसैनिया रामपुर मे एक बड़े मजमे को खेताब करते हुए बताया कि हज़रत मोहम्मद साहब ने कहा कि फातेमा मेरी आखों का नूर है। फातेमा मेरे जिस्म की रूह है। लेहाज़ा जिससे फातेमा राज़ी उससे रसूल राज़ी जिससे रसूल राज़ी उससे ख़ुदा राज़ी। जिससे फातेमा नाराज़ उससे रसूल नाराज़ जिससे रसूल नाराज़ उससे अल्लाह नाराज़। आखिरी दौर की तीसरी मजलिस को खेताब करते हुए ईरान से आये शिया धर्म गुरु आयतुल्लाह शेख़ रेज़ाई क़ुम ईरान ने फारसी ज़ुबान मे मजलिस को खेताब किया जिसका उर्दू ट्रांसलेट मौलाना सैय्यद हैदर अब्बास हादी टी० वी लखनऊ ने किया। मजलिस से पूर्व पेशख़्वानी रज़ा सिरसिवि, जफर आज़मी, मुबारक जलालपुरी, मौलाना शबीब अकबरपूरी ने किया। मजलिस का संचालन मौलाना सैय्यद नूरुल हसन इमाम -ए- जुमा मछ्ली गांव व आरिफ अनवर अकबरपूरी ने किया। मजलिस मे भारी संख्या मे मोमनीन मौजूद रहे। दौरान मजलिस शब्बर अली की तरफ से तालीमी कैम्प का भी आयोजन किया गया था जिसमे मौलाना हैदर अब्बास लखनऊ, मौलाना मोहम्मद काज़िम फैज़ाबाद आदि उलेमाओं ने बख़ूबी मोमनीनो के तमाम सवालों का जवाब क़ुरआन व हदीस के हवाले से पेश किया। अंत मे सैय्यद शब्बर अली ने आये हुए तमाम धर्म गुरुओं व ज़ायरीनों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।